.... मैं चुप क्यूँ?....
. लोग अचंभित पूछ रहे है,
मै अब चुप क्यूँ रहती हूँ?
कौन सुनेगा किसको सुनाये
मन का दर्द किसे बतलायें
.......अपने हमसे रूठ ना जाये
इसलिये अब चुप रहती हूँ।
...... सुनने और सुनाने वाले
जो भी प्यारे रिश्ते थे,
नोंक झोंक में जैसे भी हों,
पर वो ही रिश्ते सच्चे थे।
अब तो केवल नाम के रिश्ते,
नाते रिश्ते या हो बच्चे
टूट ना जाये कच्चे धागे
टुकड़े दिल के किसको दिखाये
इसलिये अब चुप रहती हूँ।
......आज खुशी कि इस मेहफिल मे
अपना जी भर आया है,
गम कि कोई बात नही है
हमेँ खुशी ने रूलाया है
आँख से आँसु बह ना जाये
इस लिये अब चुप रहती हूँ।
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